Monday, 30 April 2018


What is Port? List important port numbers?
Answer – Important ports are – 
§  FTP – 21
§  Telnet – 23
§  POP3 – port 110
§  IMAP – port 143
§  SMTP – port 25
§  HTTP – port 80
§  Secure SMTP (SSMTP) – port 465
§  Secure IMAP (IMAP4-SSL) – port 585
§  IMAP4 over SSL (IMAPS) – port 993
§  Secure POP3 (SSL-POP) – port 995
Q15. What are 127.0.0.1 and localhost?
Answer –  127.0.0.1 एक लूपबैक IP address है जिसको की localhost भी कहते है | यह वो IP address or hostname (localhost) है जो की machine खुद को देती है | यह address same machine or computer के साथ IP connection establish करने के लिए use किया जाता है
Q16. Difference between Work-group and a Domain?
Answer- Window network मे domain उन सभी कंप्यूटर्स का एक group है जो की centrally एक server से control होते है  और सभी कंप्यूटर का डेटाबेस सर्वर पर मैनेज होता है | Work-group मे, जब भी  computer आपस मे connected होते है तो कोई एक जगह पर सारे computer का database और authentication manage नहीं होता एंड सभी computer खुद की user account and settings को अपने computer मे locally ही save करके रखते है  
Q18. What is the Windows Registry?
Answer – Window registry जिसको की registry भी कहा जाता है, windows operating system की सभी configuration settings का hierarchical database होता है |
Q19. What is LDAP? Why it is used
Answer – LDAP एक Lightweight Directory Access Protocol होता है | यह active directory की वो protocol है जो की database से data को access करने के लिए काम आती है |
Q20. Define virtualization?
Answer – Virtualization ऐसा environment प्रोवाइड करता है जिसमे एक फिजिकल कंप्यूटर पर अलग अलग OS and configuration (RAM, storage, CPU etc) की मशीन एक साथ चलायी जा सकती है Benefits of virtualization –  
§  Number of फिजिकल सर्वर कम हो जाते है
§  Data center के infrastructure को maintain करना easy होता है

§  Machine को मैनेज करना आसान होता है
§  Productivity एंड performance increase होती है
Q21.  What is HyperV?
Answer -Read here
Q22. What is Virtual Machine
Answer – Read here
Q23. What is domain controller and primary function of the domain controller?
Answer – Domain controller (DC) या network domain controller एक Windows-based computer system है जो की central database मे users की accounts related information maintain करता है | यह windows active directory service मे user authentication, stores user account information एवेम windows domain मे security policies को enforce करने मे भी आता है | Domain controller ही वो entity होती है जो  की system administrators को allow करती है की single username and password से system resources की permission grant or deny कर सके जैसे की printers, documents, folders, network locations, etc | 
What are RJ45 and RJ11 connectors?
Ans: RJ45 connectors LAN/Ethernet connections के लिए एवेम RJ11 connectors Telephone Cable connections के लिए use किये जाते है
What is Windows Server?
Answer – Window server, Microsoft corporation के द्वारा develop किया गया OS है जो की windows client OS के different function को control करने के लिए या manage करने के लिए बनाया गया है जैसे की Windows Server 2012 मे AD, DNS, DHCP, hyperv-replication आदि features होते है जो की डोमेन नेटवर्क मे क्लाइंट को manage करते है

APIPA, Automatic Private IP Addressing का short form है | APIPA windows OS का एक feature है जिसमे की नेटवर्क मे DHCP client machine APIPA के लिए सेल्फ configured होती है किसी भी नेटवर्क मे जब कोई DHCP client मशीन boot होती है तो वो DHCP सर्वर को देखती है जिससे की एक valid नेटवर्क IP एड्रेस मिल सके | लकिन जब DHCP server नहीं मिलता तो विंडोज मशीन APIPA फीचर को use करते हुए एक specified range (जो की रिज़र्व होती है) मे से IP address मशीन को दे देती है

APIPA ranges : APIPA की IP address range है – 169.254.0.1 through 169.254.255.254 with class B subnet mask 255.255.0.0 |  According to Microsoft APIPA service regularly check( every five minutes) DHCP server in network | जैसे ही APIPA को DHCP Server सर्वर मिलता है APIPA सर्विस बंद हो जाती है एवं APIPA address को DHCP सर्वर से मिले हुए IP address से replace कर दिया जाता है

Router vs Modem : आप बहुत बार router and modem के बीच मे confuse होते होंगे क्योकि ये लगभग एक सी दिखने वाली devices है| दोनों का साइज लगभग एक सा होता है, दोनों मे फ्लशिंग लाइट्स होती है एवं दोनों को कम्प्यूटर्स से कनेक्ट किया जा सकता है| लकिन दोनों का फंक्शन बिलकुल अलग है – 

जब किसी भी ISP से इंटरनेट कनेक्शन लिया जाता है तो वो या तो टेलीफोन केबल के जरिये या फिर Ethernet के जरिये कनेक्शन देता है | जब कनेक्शन टेलीफोन केबल के through दिया जाता है तो उसको modem मे लगाना होता है क्योकि modem analog signals को  digital signals मे या digital को analog कन्वर्ट करने का काम करता है | अब इस modem को हमको आगे एक केबल के जरिये router से कनेक्ट करना होता है | router से कनेक्ट करने के बाद, वो router एक से ज्यादा कंप्यूटर को कनेक्ट कर सकता है (according to राऊटर ports and capacity) | 

Router से कनेक्ट होने वाले कंप्यूटर को router DHCP से IP एड्रेस देने के आलावा इंटरनेट से कनेक्ट करने का काम भी करता है| जब किसी कंप्यूटर को router से कनेक्ट किया जाता है तो router उसको एक प्राइवेट IP एड्रेस देता है फिर उसको NAT के जरिये modem से होते हुए इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड करता है दोनों मे डिफरेंस इस प्रकार है – 
Modem आपको ISP से टेलीफोन लाइन के (Rj11 port) जरिये इंटरनेट से कनेक्ट करता है जबकि Router एक से ज्यादा कंप्यूटर को same network मे join करने लिए allow करता है
Modem का काम आपके ISP से आये हुए Analog Singal को digital एवं digital को analog signal मे करने का होता है जबकि router का काम modem से मिलने वाली इनफार्मेशन को computers को डिलीवर करने का होता है|  
Modem को एक से ज्यादा कंप्यूटर से नहीं कनेक्ट किया जा सकता जबकि router को एक से ज्यादा कंप्यूटर से कनेक्ट कर सकते है|

DHCP जब एक network का computer start होता है एवं उस कंप्यूटर की DHCP Client service होती है, वो क्लाइंट सर्विस चेक करती है की कंप्यूटर मे static IP address है या computer मे DHCP की setting है| अगर Computer मे DHCP की सेटिंग होती है तो कंप्यूटर DHCP Client service के जरिये DHCP server से IP Address के लिए request करता है| server को जब request मिलती है तो वो उस कंप्यूटर की validity को चेक करने के बाद अपने defined range (scope) and rules के अनुसार एक IP address रिज़र्व करके उस computer को भेज देता है| इस प्रकार उस नेटवर्क computer को IP address मिलता है 
DHCP के फायदे :- 
Reliable IP address configuration – जब किसी network मे DHCP को use किया जाता है तो यह manual IP configuration की तुलना मे IP configuration errors कम करता है जैसे की typographical errors, IP address duplication आदि |
Network administration मे लगने वाला time बचाता है : किसी network मे DHCP configuration करने से system and network administrator के मैन्युअल task को कम करता है | देखिये कैसे
1.       क्योकि यह clients को Centralized and automated TCP/IP configuration करता है |
2.       Clients के IP address को easily schedule time पर update करता है |

Cookies Definition : जब कोई user internet पर किसी वेबसाइट को browse or visit करता है तो website के दवारा एक छोटी सी data file को उस computer पर स्टोर किया जाता है इसको web cookies कहते है | Next time जब भी यूजर वापस उस website को visit करता है तो web browser उस saved cookie को website के server सर्वर पर upload करके user की last activities को बताता है | Cookies को आपकी browsing history एवं other important information याद रखने के लिए ही design किया गया है जैसे की shopping website visit करते समय आपने कौनसे product को shopping cart मे add किया था या आपने गूगल पर कौनसा प्रोडक्ट सर्च किया था ये सभी cookies की help से ही पता चलता है |

वैसे तो cookies बहुत सारे काम करती है लकिन इसका important काम वेबसाइट की login information को store करना भी होता है कुछ website username and password दोनों information save करते है एवं कुछ केवल username | कोई भी cookies मे निचे दिया हुए components होते  है –   

 Handshaking in computer networks
Handshake kya hota hai : Information technology, digital tech fields and telecommunications मे handshaking negotiation का एक automated process है जो की किसी भी channel मे दो entities के बिच मे normal communication start होने से पहले कुछ parameters के साथ set किया जाता है | यह Channel के physical establishment को फॉलो करता है एवं normal information को transfer करता है | Handshaking तब चालू होता है जब एक device दूसरी device को ये indicate करती हुए message करती है की यह connection establish करने के लिए ready है इसके बाद दोनों devices communication channel मे messages भेजती है जो की उनके बिच connection and trust establish करने लिए जरुरी होता है और फिर दोनों डिवाइस communications protocol के लिए agree करते हुए connection के लिए agree करती है
Handshake Process किसी भी communication के rules को establish करने के लिए होता है | जब computer किसी भी दूसरी device से communicate करता है जैसे की modem, printer, or network server तो इसको उस connection मे handshake की जरुरत पड़ती है |
Handshake प्रोसेस मे प्रोटोकॉल इन्वॉल्व होती है एक simple handshake protocol केवल message receiver का काम कर सकती है for example “मुझे आपका last message मिल गया है and मे आगे के आपके message के लिए ready हूँ | आप आगे के message भेज सकते हैजबकि एक complex handshake protocol  का काम ये भी हो सकता  है की sender को receiver से ये पूछने के लिए allow करें की क्या आप message receive  करने के लिए ready है या फिर आपका last message नहीं मिला please resend it” |

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