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Sunday, 25 March 2018
What is PHP
What is PHP & it’s key features
php बहुत ही शक्तिशाली server side scripting language है जो की dynamic एवं interactive websites बनाने मैं प्रयुक्त होती है php का क्षेत्र बहुत ही बड़ा है मुख्य बात यह है की यह programmers के लिए free है यह microsoft के asp.net की प्रमुख प्रतिद्वंदी है websites बनाने मैं आजकल सर्वाधिक उपयोग मैं लायी जा रही है इसे आप आसानी से आपके html document के साथ जोड़ सकते हैं ! php को लिखने का तरीका भी बहुत ही आसान है ये बहुत कुछ language पर्ल की तरह है अगर आपने कभी पढ़ा हो अगर नहीं भी पढ़ा है तो भी आपको घबराने की जरुरत नहीं है आप भी इसे पढ़ सकते हैं यह विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम/ Operating systems पर apache वेबसर्वर / webserver के साथ ही काम करती है php मैं
Text
Html tags
Scripts आदि सम्मिलित है जो की server पर एक्सीक्यूट/execute होते हैं !
PHP एक परिचय :
php का पूरा नाम php hypertext preprocessor हैयह asp की तरह server side scripting language है !
php मैं लिखी scripts server पर run / execute होती है !
php कई प्रकार के database को सपोर्ट करती है जिनमे MYSQL,ORACLE एवं SYBASE शामिल है !
PHP OSS(open source software) हैं !
php बिलकुल free है आप इसी इन्टरनेट की मदद से कही भी डाउनलोड करके इस्तेमाल कर सकते हैं
php प्लेटफार्म इंडिपेंडेंट है इसलिए आप चाहे windows पे काम कर रहे हो चाहे linux या unix ये सभी को सपोर्ट करती है
php मैं text, html tags तथा scripts का समावेश होता है
php फाइल ब्राउज़र को पुनः साधारण html के रूप मैं प्राप्त होती है
php फाइल को .php , .php3 या .phtml extension से save किया जाता है
नोट : जैसा की पहले बताया गया है की php को dynamic एवं interactive websites के रूप मैं इस्तेमाल किया जाता है जो की database से संभव है और php मैं MYSQL को आप इस्तेमाल कर सकते हैं आइये जाने की
MYSQL क्या है !
What is MYSQL :
यह एक database server है
यह free उपलब्ध है इन्टरनेट की मदद से आप इसे डाउनलोड करे और प्रयोग मैं लें
यह साधारण सकल को सपोर्ट करती है
यह कई सारे प्लेटफार्म (Operating systems) को सपोर्ट करती है अतः आप निश्चिंत हो जाते हैं इसके इस्तेमाल के लिए की आप कोनसा ऑपरेटिंग सिस्टम काम मैं ले रहे हैं
यह छोटी और बड़ी दोनों प्रकार की web applications मैं इस्तेमाल होती है
Key features of php/ php के मुख्य आकर्षण :
यह आसानी से windows,linux,unix आदि operating systems पर चल सकता है
यह सिखने मैं आसान है
यह एकदम मुफ्त है तो आपको काम करने के लिए कुछ भी खर्च करने को कुछ नहीं होता आपको सिर्फ programming करने की देर है
यह वैसे तो Apache server को सपोर्ट करता है लेकिन यह IIS पर भी चल सकती है
यह साधारण सकल को सपोर्ट करती है
यह कई सारे प्लेटफार्म (Operating systems) को सपोर्ट करती है अतः आप निश्चिंत हो जाते हैं इसके इस्तेमाल के लिए की आप कोनसा ऑपरेटिंग सिस्टम काम मैं ले रहे हैं
यह छोटी और बड़ी दोनों प्रकार की web applications मैं इस्तेमाल होती है
Key features of php/ php के मुख्य आकर्षण :
यह आसानी से windows,linux,unix आदि operating systems पर चल सकता है
यह सिखने मैं आसान है
यह एकदम मुफ्त है तो आपको काम करने के लिए कुछ भी खर्च करने को कुछ नहीं होता आपको सिर्फ programming करने की देर है
यह वैसे तो Apache server को सपोर्ट करता है लेकिन यह IIS पर भी चल सकती है
DNS SERVER?
एक DNS SERVER (डी एन एस सर्वर) क्या है?
डोमेन नेम सिस्टम (Domain Name System – डीएनएस) सार्वजनिक वेब साइटों और अन्य इंटरनेट डोमेन के नामों के प्रबंधन के लिए एक प्रौद्योगिकी मानक है। जैसे ही आप अपने वेब ब्राउज़र पर किसी वेबसाइट का नाम जैसे www.google.com टाइप करते हैं, DNS टेक्नोलॉजी के द्वारा आपका कंप्यूटर स्वचालित रूप से इंटरनेट पर वेबसाइट का पता लगाने के लिए अनुमति देता है. डीएनएस की मूल कार्यप्रणाली डीएनएस सर्वर का एक विश्वव्यापी संग्रह पर आधारित होती है.
एक DNS सर्वर डोमेन नाम प्रणाली में शामिल होने के लिए पंजीकृत कोई भी कंप्यूटर हो सकता है.
एक DNS सर्वर विशेष प्रयोजन के नेटवर्किंग सॉफ्टवेयर चलाता है और इसमें अन्य इंटरनेट होस्ट के लिए नेटवर्क के नाम और पतों की एक डेटाबेस शामिल होती हैं.
DNS रूट सर्वर (DNS ROOT SERVERS)
डीएनएस सर्वर एक दूसरे से निजी नेटवर्क प्रोटोकॉल का उपयोग करके संवाद स्थापित करते हैं. सभी DNS सर्वर एक पदानुक्रम में व्यवस्थित होते हैं. पदानुक्रम के शीर्ष स्तर पर रूट सर्वर होता है जो इंटरनेट डोमेन नामों और उनसे सम्बंधित आईपी पतों (IP address) का एक पूरा डेटाबेस का संग्रह करता है. इंटरनेट के 13 रूट सर्वर है जो उनकी विशेष भूमिका के आधार पर कार्यरत हैं। विभिन्न स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा इन सर्वरों को मेन्टेन किया जाता है. दस डी एन एस सर्वर संयुक्त राज्य अमेरिका में, एक जापान में, एक लंदन में, एक ब्रिटेन में और स्टॉकहोम में एक सर्वर कार्यरत हैं.
DNS कैसे काम करता है?
डीएनएस एक वितरित डेटाबेस प्रणाली है. केवल 13 रूट सर्वर नाम और पते का पूरा डेटाबेस होते हैं.
आपके आईएसपी (ISP) भी स्वयं का डीएनएस सर्वर स्थापित रखता है.
DNS क्लाइंट / सर्वर नेटवर्क आर्किटेक्चर पर आधारित है. आपका वेब ब्राउज़र एक DNS क्लाइंट के रूप में कार्य करता है (इसे DNS रिसोल्वर भी कहा जाता है). वेब साइटों के बीच नेविगेट करते समय यह अपने इंटरनेट सेवा प्रदाता के DNS सर्वरों को अनुरोध भेजता है।
Web Server क्या है
Web Server- Web Server ब्राउजर को Web Page तथा Website उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाता है। यह एक तरह की तकनीक है, जो हमें, वेब के साथ छोड़ती है। कई बडी कम्पनियों का अपना स्वयं का Web Server होता है, लेकिन अधिकांश निजी तथा छोटी कम्पनियाँ वेब सर्वर किराये पर लेती है। यह सुविधा उसे इन्टरनेट एक्सेस कम्पनी द्वारा प्रदान की जाती है। बिना सर्वर के कोई वेब नहीं हो सकता है। यहाँ इन्टरनेट पर लाखों वेब सर्वर हैं और प्रत्येक में हजारों Home Page शामिल रहते हैं। Web server software सारे प्रचलित आँपरेटिंग सिस्टम पर उपलब्ध रहता है। इसमें Unit के विण्डोज एन. टी. सर्वर (NT Workstation) तथा एनं. टी. वर्कस्टेशन (Windows NT Server) शामिल हैं। वेब सर्वर Software, Hardware तथा Operating System के संयोग पर आधारित है, जो अपने-अपने सर्वर प्लेटफॉर्म के लिए चुनाव में आसानी से रन करता है।
Windows पर आधारित कुछ वेब सर्वर निम्न हैं-
1. microsoft internet information server
2. Netscape fast track server
3. netscape enterprise server
4. Open market scure webserver
5. purveyar intra server
Windows पर आधारित कुछ वेब सर्वर निम्न हैं-
1. microsoft internet information server
2. Netscape fast track server
3. netscape enterprise server
4. Open market scure webserver
5. purveyar intra server
Internet Connectivity
Internet Connectivity
इंटरनेट से जुडने के लिये कई तरीके है। इसके लिये आपको अपना कम्प्यूटर किसी सर्वर से जोडना होता है। इंटरनेट सर्वर कोई ऐसा कम्प्यूटर है, जो दूसरे कम्प्यूटरो से भेजी गई प्राथनाओ को स्वीकार करता है और उन्हे उनकी जानकारी उपलब्ध कराता है। ये सर्वर कुछ अधिकृत कंपनियो द्वारा स्थापित किये जाते है, जिन्हे इंटरनेट सेवा प्रदाता कहा जाता है। ऐसी सेवा देने वाली अनेक कंपनीयां है, आपके पास किसी इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी का कनेक्शन होना चाहिए। जब आप अपने क्षेत्र मे कार्य करने वाली किसी इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी से आवेदन करते है और आवश्यक शुल्क जमा करते है, जिसके द्वारा आप उस कंपनी के सर्वर से अपने कम्प्यूटर को जोड सकते है।
Types of Internet Connection
Dial up Connection
ISDN Connection
Leased line connection
VSAT Connection
Broadband Connection
Wireless Connection
USB Modem Connection
ISDN Connection
Leased line connection
VSAT Connection
Broadband Connection
Wireless Connection
USB Modem Connection
1. PSTN (Public Services Telephone Network)
सामान्य टैलीफोन लाइन द्वारा, जो आपके कम्प्यूटर को डायल अप कनेक्शन के माध्यम से इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी के सर्वर से जोड देती है। इसलिए इसे Dial up connection भी कहा जाता हैं | कोई डायल अप कनेक्शन एक अस्थायी कनेक्शन होता है, जो आपके कम्प्यूटर और आईएसपी सर्वर के बीच बनाया जाता है। डायल अप कनेक्शन मोडेम का उपयोग करके बनाया जाता है, जो टेलीफोन लाइन का उपयोग आईएसपी सर्वर का नंबर डायल करने मे करता है। ऐसा कनेक्शन सस्ता होता है, और इसकी स्पीड कम होती हैं | इसकी स्पीड kbps (kilo byte per second) तथा mbps (mega byte per second) में मापी जाती हैं |
2. ISDN (Integrated services digital network)
यह डायल उप कनेक्शन के समान ही होता हैं परन्तु यह महंगा होता हैं और इसकी स्पीड डायल उप से ज्यादा होती हैं |
3. Leased line connection
लीज लाइन ऐसी सीधी टेलीफोन लाइन होती है, जो आपके कम्प्यूटर को आईएसपी के सर्वर से जोडती है। यह इंटरनेट से सीधे कनेक्शन के बराबर है और 24 घंटे उपलब्ध रहती है। यह बहुत तेज लेकिन महॅगी होती है।
4.V-SAT (वी-सैट)
V-SAT Very Small Apertune Terminal का संक्षिप्त रूप है। इसे Geo-Synchronous Satellite के रूप मे वर्णन किया जा सकता है जो Geo-Synchronous Satellite से जुडा होता है तथा दूरसंचार एवं सूचना सेवाओ, जैसे.आॅडियो, वीडियो, ध्वनि द्वारा इत्यादि के लिये प्रयोग किया जाता है। यह एक विशेष प्रकार का Ground Station है जिसमे बहुत बडे एंटीना होते है। जिसके द्वारा V-SAT के मध्य सूचनाओ का आदान प्रदान होता है, Hub कहलाते है। इनके द्वारा इन्हे जोडा जाता है।
5. Broadband Connection
यह वह लाइन होती हैं जो ISP द्वारा भेजी जाती हैं इसके बाद उस लाइन को मॉडेम और टेलीफोन लाइन से जोड़ दिया जाता हैं यह एक प्राइवेट नेटवर्क होता हैं जिसका कोई न कोई मालिक अवश्य होता हैं इसलिए इस नेटवर्क का प्रयोग केवल वही व्यक्ति कर सकता हैं जिसने यह कनेक्शन लिया हैं |
जैसे – MTNL, BSNL, sify, idea आदि वह कंपनियां हैं जो ब्रॉडबैंड की सुविधा देती हैं |
जैसे – MTNL, BSNL, sify, idea आदि वह कंपनियां हैं जो ब्रॉडबैंड की सुविधा देती हैं |
6. Wireless connection
Wireless वह कनेक्शन होता हैं जिसमे केबल का प्रयोग नहीं किया जाता हैं जैसे – wifi इसे चलाने के लिए किसी केबल की आवश्यकता नहीं होती हैं wifi कनेक्शन के लिए केवल Router की आवश्यकता होती हैं|
7. USB Modem connection
इस कनेक्शन के लिए मॉडेम की आवश्यकता नहीं होती हैं USB device के माध्यम से यह कनेक्शन स्थापित किया जाता हैं इसमें Sim card के द्वारा इन्टरनेट कनेक्शन बनाया जाता हैं USB Modem में sim card लगाने के बाद कंप्यूटर से कनेक्ट करने पर नेट चालू हो जाता हैं |
जैसे – Net Sector एक USB modem हैं इसे कई कंपनी द्वारा बनाया गया हैं idea, reliance, Airtel, Tata docomo, jio आदि |
जैसे – Net Sector एक USB modem हैं इसे कई कंपनी द्वारा बनाया गया हैं idea, reliance, Airtel, Tata docomo, jio आदि |
The TCP/IP Model (TCP/IP Protocol क्या होता है)
TCP/IP का Full Form TCP के लिए Transmission Control Protocol और IP के लिए Internet Protocol हैं, TCP/IP को "the language of the Internet." के नाम से भी जाना जाता हैं। TCP/IP WWW का एक Protocol है, जिसके द्वारा हम किसी भी Computer में आसानी से Internet Access करने के लिए Use करते है। अगर किसी नेटवर्क में दो Devices है तो उन्हें आपस में Communicate करने के लिए Common Protocol की जरुरत होगी। TCP/IP Model(Protocol) end-to-end Communication उपलब्ध कराता है। आज के Internet का विकास ARPAnet के रूप में हुआ जब, Advanced Research Projects Agency (ARPA) ने 1969 में Cold war (During 1945 to 1990 Between USA and USSR (Soviet Union)) के समय हुआ था जब उन्हें लगा की कोई ऐसा कम्युनिकेशन System हो जो Nuclear War में भी use किया जा सके।
ARPAnet में जिस Protocol का Use हुआ उसे Network Control Protocol (NCP) कहा गया। बाद में जब इसकी जरुरत बढ़ी और ये जब एक बड़े नेटवर्क को connect करने में असफल हो रहा था, तब 1974 में Vint Cerf और Bob Kahn ने एक नई टेक्नोलॉजी को Introduced किया, जिसे Transmission Control Protocol (TCP) कहा गया जो जल्द ही NCP को Replace करता, तभी साल 1978 में कुछ नए Development के बाद एक नये Protocol Suite को Introduce किया गया जिसे Transmission Control Protocol/Internet Protocol (TCP/IP) कहा गया। फिर उसके बाद 1982 में ये dicide हुआ की अब NCP को TCP/IP से बदला जायेगा,जिसे ARPAnet का Standard Lanugage के रूप में।
इस प्रकार से 1983 में ARPAnet को TCP/IP से बदल दिया गया और Network का विकास बहुत तेजी से हुआ। तो इसी आधार पर हम कह सकते है कि आज के TCP/IP Model का विकास ARPAnet से हुआ।
TCP/IP दो Computers के बीच Information Transfer और Communication को Possible करता है । इसका प्रयोग Data को सुरक्षित ढंग से भेजने के लिए किया जाता है । TCP की भूमिका DATA को छोटे-छोटे भागों (Packets) में बाँटने की होती है और IP इन Packets का Address मुहैया कराता है । TCP/IP Network Protocol Internet पर एक साथ भिन्न आकार और विभिन्न प्रकार के Systems Network से Connect करने की इसकी क्षमता के कारण सफल है। TCP/IP का Implementation लगभग सभी प्रकार के Hardware व Operating System के लिए समान रूप से काम करता है इसलिए सभी प्रकार के Networks TCP/IP के प्रयोग द्वारा आपस में Connect हो सकते हैं।
TCP/IP Protocol में 4 Layer होती है जो निम्न है:-
01). Network Access layer (Network Interface Layer):-
यह TCP/IP मॉडल की सबसे निम्नतम लेयर है। TCP/IP का Network Layer, OSI Reffrence Models के पहले तीन निचले Layers (i.e ... Network, Data Link, and Physical) के सभी function को Complete करता है। नेटवर्क एक्सेस लेयर यह describe करती है कि किस प्रकार से किसी भी IP DataGram को नेटवर्क में sent करना है। Network Layer में जो Data होता है वह Packet (Data के समूह) के रूप में होता है और इन पैकेटों को source से destination तक पहुँचाने का काम Network Layer का होता है। Network layer जैसे ही किसी नई Hardware को Detect करती हैं, नए Network Acsess Protocoal को विकसित करती है ताकि टीसीपी / आईपी नेटवर्क नए हार्डवेयर का इस्तेमाल आसानी से कर सकें।
02). Internet layer (Network Layer) :-
TCP/IP Model में Internet लेयर का काम OSI Refrence Model के Layer 3 की तरह ही काम करता हैं, यह लेयर ट्रांसपोर्ट लेयर तथा एप्लीकेशन लेयर के मध्य स्थित होती है। यह लेयर नेटवर्क में connectionless कम्युनिकेशन उपलब्ध कराती है। इसमें डेटा को IP datagrams के रूप में पैकेज किया जाता है यह datagram source तथा destination IP एड्रेस को contain किये रहते है जिससे कि डेटा को आसानी से sent तथा receive किया जा सकें। TCP/IP Internet Layer's के अंतर्गत आने वाले Major Protocols है :-
Internet Protocol (IP),
Internet Control Message Protocol (ICMP),
Address Resolution Protocol (ARP),
Reverse Address Resolution Protocol (RARP)
Internet Group Management Protocol (IGMP).
03). Transport layer:-
TCP/IP Model का Transport layer Data के Transmission के लिए जिम्मेदार होती है यह लेयर एप्लीकेशन लेयर तथा इंटरनेट लेयर के मध्य स्थित होती है। Transport layer में Error checking, flow control भी होता हैं ताकि दो Communiction के बीच कोई भी डाटा अपने सही Reciver और Sender तक पहुँच सके, अगर में आसान शब्दों में कहें, तो ये Multiplexing और De-Multiplexing के Process के लिए जिम्मेवार होता हैं। इस लेयर में दो मुख्य प्रोटोकॉल कार्य करते है:-
04). Application layer:-
TCP/IP Protocol की सबसे उच्चतम layer को Application Layer कहते है। यह Layer Applications को Network Services उपलब्ध करने से सम्बंधित होती है। इस Layer का सम्बन्ध किसी भी Data के formation, Encapsulation और Transmission से होता हैं। ये Layer Human Interaction का काम करती हैं जैसे: Web-browser, Email तथा अन्य Application के लिए Window उपलब्ध कराना. इस Layer का काम Transport Layer को Data भेजना और उससे Data को Receive करना । Application Layer में होने वाले कुछ Protocols निम्न प्रकार से है:-
TCP/IP History in Hindi:
ARPAnet में जिस Protocol का Use हुआ उसे Network Control Protocol (NCP) कहा गया। बाद में जब इसकी जरुरत बढ़ी और ये जब एक बड़े नेटवर्क को connect करने में असफल हो रहा था, तब 1974 में Vint Cerf और Bob Kahn ने एक नई टेक्नोलॉजी को Introduced किया, जिसे Transmission Control Protocol (TCP) कहा गया जो जल्द ही NCP को Replace करता, तभी साल 1978 में कुछ नए Development के बाद एक नये Protocol Suite को Introduce किया गया जिसे Transmission Control Protocol/Internet Protocol (TCP/IP) कहा गया। फिर उसके बाद 1982 में ये dicide हुआ की अब NCP को TCP/IP से बदला जायेगा,जिसे ARPAnet का Standard Lanugage के रूप में।
इस प्रकार से 1983 में ARPAnet को TCP/IP से बदल दिया गया और Network का विकास बहुत तेजी से हुआ। तो इसी आधार पर हम कह सकते है कि आज के TCP/IP Model का विकास ARPAnet से हुआ।
TCP/IP Reference Models:
TCP/IP दो Computers के बीच Information Transfer और Communication को Possible करता है । इसका प्रयोग Data को सुरक्षित ढंग से भेजने के लिए किया जाता है । TCP की भूमिका DATA को छोटे-छोटे भागों (Packets) में बाँटने की होती है और IP इन Packets का Address मुहैया कराता है । TCP/IP Network Protocol Internet पर एक साथ भिन्न आकार और विभिन्न प्रकार के Systems Network से Connect करने की इसकी क्षमता के कारण सफल है। TCP/IP का Implementation लगभग सभी प्रकार के Hardware व Operating System के लिए समान रूप से काम करता है इसलिए सभी प्रकार के Networks TCP/IP के प्रयोग द्वारा आपस में Connect हो सकते हैं।
TCP/IP Protocol में 4 Layer होती है जो निम्न है:-
01). Network Access layer (Network Interface Layer):-
यह TCP/IP मॉडल की सबसे निम्नतम लेयर है। TCP/IP का Network Layer, OSI Reffrence Models के पहले तीन निचले Layers (i.e ... Network, Data Link, and Physical) के सभी function को Complete करता है। नेटवर्क एक्सेस लेयर यह describe करती है कि किस प्रकार से किसी भी IP DataGram को नेटवर्क में sent करना है। Network Layer में जो Data होता है वह Packet (Data के समूह) के रूप में होता है और इन पैकेटों को source से destination तक पहुँचाने का काम Network Layer का होता है। Network layer जैसे ही किसी नई Hardware को Detect करती हैं, नए Network Acsess Protocoal को विकसित करती है ताकि टीसीपी / आईपी नेटवर्क नए हार्डवेयर का इस्तेमाल आसानी से कर सकें।
02). Internet layer (Network Layer) :-
TCP/IP Model में Internet लेयर का काम OSI Refrence Model के Layer 3 की तरह ही काम करता हैं, यह लेयर ट्रांसपोर्ट लेयर तथा एप्लीकेशन लेयर के मध्य स्थित होती है। यह लेयर नेटवर्क में connectionless कम्युनिकेशन उपलब्ध कराती है। इसमें डेटा को IP datagrams के रूप में पैकेज किया जाता है यह datagram source तथा destination IP एड्रेस को contain किये रहते है जिससे कि डेटा को आसानी से sent तथा receive किया जा सकें। TCP/IP Internet Layer's के अंतर्गत आने वाले Major Protocols है :-
Internet Protocol (IP),
Internet Control Message Protocol (ICMP),
Address Resolution Protocol (ARP),
Reverse Address Resolution Protocol (RARP)
Internet Group Management Protocol (IGMP).
03). Transport layer:-
TCP/IP Model का Transport layer Data के Transmission के लिए जिम्मेदार होती है यह लेयर एप्लीकेशन लेयर तथा इंटरनेट लेयर के मध्य स्थित होती है। Transport layer में Error checking, flow control भी होता हैं ताकि दो Communiction के बीच कोई भी डाटा अपने सही Reciver और Sender तक पहुँच सके, अगर में आसान शब्दों में कहें, तो ये Multiplexing और De-Multiplexing के Process के लिए जिम्मेवार होता हैं। इस लेयर में दो मुख्य प्रोटोकॉल कार्य करते है:-
- Transmission control protocol(TCP)
- User datagram Protocol(UDP)
04). Application layer:-
TCP/IP Protocol की सबसे उच्चतम layer को Application Layer कहते है। यह Layer Applications को Network Services उपलब्ध करने से सम्बंधित होती है। इस Layer का सम्बन्ध किसी भी Data के formation, Encapsulation और Transmission से होता हैं। ये Layer Human Interaction का काम करती हैं जैसे: Web-browser, Email तथा अन्य Application के लिए Window उपलब्ध कराना. इस Layer का काम Transport Layer को Data भेजना और उससे Data को Receive करना । Application Layer में होने वाले कुछ Protocols निम्न प्रकार से है:-
- Hypertext Transfer Protocol (HTTP)
- Simple Mail Transfer Protocol (SMTP)
- Dynamic Host Configuration Protocol (DHCP)
- Domain Name System (DNS)
- Simple Network Management Protocol (SNMP)
- File Transfer Protocol (FTP)
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